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दोस्तो आज थोडा अलग लिखने का मन कर रहा है तो आज सख्याओ के कमाल से आपके दिमाग को थोडा सा तेज करते है
एक समय की बात है। जापान में हाइडेयोशी नामक एक शक्तिशाली जनरल का शासन था। वह सोरोरी नामक व्यक्ति को बहुत चाहता था। एक दिन जनरल ने सोचा सोरोरी ने मुझे खुश करने के लिए जो प्रयास किया है उसके लिए मै उसे कोई उपहार दू। उसने सोरोरी से पूछा तूम क्या लेना पसन्द करोगे सोरोरी ने उत्तर दिया हुजूर आप मुझे आज चावल का एक दाना दे दीजिए। कल चावल के दो दाने, उसके अगले दिन चार दाने, फिर आठ दाने, इस प्रकार 31 दिनो तक चावल के दाने देने की कृपा करें।
जनरल ने इसे एक बहुत ही छोटा सा उपहार समझ कर मंजूर कर दिया। 31 वें दिन जब हाइडेयोशी ने देखा कि सोरारी चावल के लिए कई बडे थैले लेकर आया है, तब वह हैरान रह गया। पूछने पर सोरोरी ने कहा हुजूर यह कपडा उन चावलो को बांधने के लिए है जिन्हे देने का वचन आपने दिया था।
यदि आप 1+2+4+8+16 इस प्रकार 31 तक जोडें तो योग 2,14,74,83,649 अर्थात 2 अरब 14 करोड़ 74 लाख 83 हजार 649 होगा। इतने दाने चावल रखने के लिए कई थैलो की आवश्यकता होगी। तो देखा आपने सख्याओ का कमाल
ये तो था सख्याओ का कमाल अब मै आपको सख्याओ का एक कमाल दिखाता हू वैसे तो कुछ दोस्तो को इन सख्याओ के कमाल के बारे मे पता होगा पर जिनको नही पता ये बस उन्ही के लिए है नीचे जो मै अंक तालिका दे रहा हू उसमे से एक सख्या अपने मन मे सोचकर मुझे बतायें कि आपने जो सख्या सोची है वो कौन कौन सी पंक्ति मे है फिर मै आपको बताउंगा आपने कौन सा न० सोचा है उदाहरण के लिए माना कि मैने 29 न० सोचा है तो 29 न० 1 3, 4 और 5 वी पंक्ति मे है तो दोस्तो आप भी सोचो और बताओ कौन कौन सी पक्ति मे आपका न० है अगर विश्वास न हो तो एक बार नम्बर सोचकर जरूर बतायें और अच्छी तरह देख कर बताये क्योकि आप गलत हो सकते हो मैरा जवाब गलत नही हो सकता
1 2 4 8 16 32
3 3 5 9 17 33
5 6 6 10 18 34
7 7 7 11 19 35
9 10 12 12 20 36
11 11 13 13 21 37
13 14 14 14 22 38
15 15 15 15 23 39
17 18 20 24 24 40
19 19 21 25 25 41
21 22 22 26 26 42
23 23 23 27 27 43
25 26 28 28 28 44
27 27 29 29 29 45
29 30 30 30 30 46
31 31 31 31 31 47
33 34 36 40 48 48
35 35 37 41 49 49
37 38 38 42 50 50
39 39 39 43 51 51
41 42 44 44 52 52
43 43 45 45 53 53
45 46 46 46 54 54
47 47 47 47 55 55
49 50 52 56 56 56
51 51 53 57 57 57
53 54 54 58 58 58
55 55 55 59 59 59
57 58 60 60 60 60
59 59 61 61 61 61
61 62 62 62 62 62
63 63 63 63 63 63
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